वर्णमाला किसे कहते है | Varnmala Kise Kahate Hain

वर्णमाला किसे कहते है | Varnmala Kise Kahate Hain

वर्णमाला वह प्रणाली है जिसमें सभी वर्णों (स्वर और व्यंजन) का संग्रह होता है। हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिनमें 11 स्वर, 33 व्यंजन, और 8 विशेष वर्ण (उच्चारित विशेष ध्वनियाँ) शामिल हैं। वर्णमाला में स्वर वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें अन्य ध्वनियों में तोड़ा नहीं जा सकता, जैसे अ, इ, उ, ए आदि। व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं जो स्वर के साथ मिलकर अक्षर बनाती हैं, जैसे क, ख, ग आदि । पोस्ट को पढ़ने के बाद वर्णमाला से सम्बन्धित सभी जानकारियां विस्तार के साथ आपको समझ आ जाएगी .

ध्वनि ( Dhawani kise kahate hain ) - भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि कहलाती है . ध्वनि से ही वर्णों का निर्माण होता है . ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है जिससे वर्णों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, 'अ', 'उ', 'ए' आदि ध्वनियाँ हैं। जब इन ध्वनियों को जोड़ते हैं, तो अक्षर बनते हैं, जैसे क् (वर्ण) और अ (स्वर) को जोड़ने पर क अक्षर बनता है। वर्ण वे छोटी ध्वनियाँ हैं जिन्हें और टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, जबकि अक्षर वे ध्वनियाँ हैं जो स्वर के साथ मिलकर अक्षर का रूप लेती हैं । उदाहरण के लिए अ, उ, ए , क् , ख् , ग् आदि Dhawani हैं ।

Varn kise kahate hain

वर्ण - वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते. वर्ण कहलाती है .

उदाहरण के लिए अ, इ, क् , ख् , ग् आदि.

विद्यालय = विद्या + आलय

विद्यालय = वि + द्य + आ + ल + य

विद्यालय = व् + इ + द् + अ + अ + ल् + य्

जैसे की हम विद्यालय का उदाहरण देखते हैं तो पाते हैं कि विद्यालय का संधि विच्छेद करने पर विद्या + आलय होता है . हम पुनः विद्या की संधि विच्छेद करते हैं तो वि + द्या प्राप्त होता है . जिसका हम पुनः संधि विच्छेद करते हैं तो व् + इ प्राप्त होता है . अब व् और इ के टुकड़े नहीं किए जा सकते. अतः यह वर्ण हैं (व् और इ) क्योंकि वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते Varn कहलाती हैं ।

Varn Aur Akshar me antar

अक्षर - वर्ण में जब स्वर को जोड़ा जाता है तो वह अक्षर बन जाता हैं।

जैसे - क् (वर्ण) + अ (स्वर) = क (अक्षर)

वर्ण - अ, इ, उ, क् , ख् , ग् इत्यादि.

अक्षर - आ, ई, ऊ, क, ख , ग इत्यादि.

नोट:- सभी स्वर स्वयं में वर्ण और अक्षर दोनो होते है क्योंकि उन्हें अन्य वर्ण में तोड़ा नहीं जा सकता है . सामान्यत: वर्ण और अक्षर ( Akshar ) को एक ही माना जाता हैं ।


Varnmala kise kahate hai

वर्णमाला - वर्णों के समूह को वर्णमाला कहा जाता है . वर्णमाला में कुल 52 वर्ण पाए जाते हैं . जिसमें 11 स्वर एवं 2 अयोगवाह वर्ण होते हैं. व्यंजन की संख्या 33 होती है. साथ ही 4 संयुक्त व्यंजन तथा 2 उछिप्त व्यंजन होते हैं .

स्वर = 11 वर्ण.

अयोगवाह वर्ण = 2 वर्ण.

स्पर्श व्यंजन = 25 वर्ण.

अंतस्थ व्यंजन = 4 वर्ण.

ऊष्म व्यंजन = 4 वर्ण.

संयुक्त व्यंजन = 4 वर्ण.

उछिप्त व्यंजन = 2 वर्ण.

हिंदी की वर्णमाला भारतीय लिपि का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विभिन्न ध्वनियों को व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करती है। वर्णमाला को वर्णों के समूह के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें कुल 52 वर्ण होते हैं। इनमें 11 स्वर होते हैं, जो ध्वनि की मौलिक इकाइयाँ हैं और जिन्हें शब्दों में अधिकतर स्पष्टता और सरलता से व्यक्त किया जा सकता है। स्वर वर्णों में 'अ', 'आ', 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ', 'ए', 'ऐ', 'ओ', 'औ' और 'अं' शामिल हैं, जो विभिन्न ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा, वर्णमाला में 2 अयोगवाह वर्ण होते हैं, जो विशेष ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं और अक्सर स्वर के बिना होते हैं। अयोगवाह वर्णों में 'अ:' और 'अं' शामिल होते हैं।

व्यंजन वर्णों की संख्या 33 होती है, जिन्हें विभिन्न ध्वनियों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। ये व्यंजन अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किए जाते हैं, जैसे कि स्पर्श व्यंजन, अंतस्थ व्यंजन, ऊष्म व्यंजन, और संयुक्त व्यंजन। स्पर्श व्यंजन 25 होते हैं, और इन्हें स्वर के साथ मिलाकर विभिन्न ध्वनियों का निर्माण किया जाता है। अंतस्थ व्यंजन 4 होते हैं, जो मुख्य रूप से स्वर के बीच में ध्वनियों को उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। ऊष्म व्यंजन 4 होते हैं, जो उच्चारण के समय विशेष ध्वनियाँ उत्पन्न करते हैं और स्वर के उच्चारण को प्रभावित करते हैं। संयुक्त व्यंजन 4 होते हैं, जो दो या अधिक व्यंजनों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं और शब्दों में जटिल ध्वनियों को व्यक्त करते हैं। इसके अलावा, वर्णमाला में 2 उछिप्त व्यंजन भी होते हैं, जो विशिष्ट ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए होते हैं और अन्य व्यंजनों के साथ मिलकर शब्दों में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

Swar kise kahate hain

स्वर - वे ध्वनियां जिनके उच्चारण के लिए अन्य वर्णों की आवश्यकता नहीं होती है . Swar ( स्वर ) कहलाती हैं ।

उदाहरण - अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ .

Matra kise kahate hain

मात्रा किसे कहते हैं ?

स्वरों के बदले हुए रूप को ही मात्रा कहा जाता है .

जैसे - अ की मात्रा { ा } होती है .

Ayogwah varn kise kahate hai

अयोगवाह वर्ण - यह ना तो पूर्णता स्वर होते हैं और ना ही व्यंजन होते हैं . जिस कारण से इन्हें अयोगवाह वर्ण ( Ayogwah Varn ) कहा जाता है. यह दो प्रकार के होते हैं 1) अनुस्वार 2) विसर्ग

Anuswar kise kahate hai

1) अनुस्वार - इसका उच्चारण नाक से होता है, जिस कारण इन्हें अनुस्वार या अनुनासिक वर्ण कहा जाता है. अं का चिन्ह ( ° ) है. उदाहरण - इंडिया, गंगा, संजय, पंकज आदि Anunasik अर्थात् Anuswar शब्द हैं ।

Visarg kise kahate hai

2) विसर्ग - इसका उच्चारण अंत में "ह" के समान होता है. जिस कारण इन्हें विसर्ग कहा जाता है. अ: का चिन्ह ( : ) है. उदाहरण प्रातः , अतः ,  दु:ख , स्वत: आदि . इन्हें Visarg मात्रा कहते हैं ।

Plut swar kise kahate hai

प्लुत स्वर - ऐसा स्वर जिसके उच्चारण में 3 मात्राओं का समय लगे अथवा जो 3 स्वरों के योग से निर्मित हो . उन्हें प्लुत स्वर कहा जाता है. उदाहरण -  

उदाहरण - अ + उ + म = ॐ . यह Plut Swar हैं .

Avgrah chinh kise kahate hai

अवग्रह चिन्ह - इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय करते है। जैसे- सुनोऽऽ, राऽऽम, ओऽऽम् आदि . इसे Avgrah Chinh कहते हैं ।

Vyanjan kise kahate hai

व्यंजन - जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं . स्वर की सहायता के आधार पर व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं -

1) स्पर्श व्यंजन ( Sparsh Vyanjan )

2) अंतस्थ व्यंजन ( Antasth Vyanjan )

3) ऊष्म व्यंजन ( Ushma Vyanjan )

4) संयुक्त व्यंजन ( Sanyukt Vyanjan )

5) उछिप्त व्यंजन. ( Uchhchhipt Vyanjan )

Sparsh vyanjan kise kahate hai

1) स्पर्श व्यंजन - कंठ, तालु, मूर्द्धा, दन्त एवं ओष्ठ की सहायता से इनका उच्चारण किया जाता है . स्पर्श व्यंजन पांच प्रकार के होते हैं . Sparsh Vyanjan के प्रकार निम्नलिखित हैं :-

1) "क" वर्ग ( कंठव्य व्यंजन )

इसके अंतर्गत क, ख, ग, घ, ड• आते हैं .

इनका उच्चारण गले की कंठ की सहायता से किया जाता है . इसलिए इन्हें Kanthavya Vyanjan कहा जाता हैं ।

2) "च" वर्ग ( तालव्य व्यंजन )

इसके अंतर्गत च, छ, ज, झ, ञ आते हैं.

इनका उच्चारण तालू जीभ की सहायता से किया जाता है. इसलिए इन्हें Talavya Vyanjan कहा जाता हैं ।

तालू( मुँह के अन्दर का वह ऊपरी भाग जो ऊपरवाले दाँतों की पंक्ति और गले के कौए या घंटी तक फैला रहता है एवं जिसके नीचे सम्पूर्ण जीभ रहती है। )

3) "ट" वर्ग ( मूर्धन्य व्यंजन )

में ये अक्षर ट, ठ, ड, ढ, ण आते हैं. इनका उच्चारण मूर्द्धा की सहायता से किया जाता है. इसलिए इन्हें Murdhanya Vyanjan कहा जाता हैं ।

मूर्द्धा( मुख के अंदर का तालु और ऊपर के दंत के पीछे का भाग, जिसे जीभ का अगला भाग ट्, ठ्, ड्, ढ्, और ण वर्ण का उच्चारण करते समय पलटकर छूता है.)

4) "त" वर्ग ( दन्त्य व्यंजन )

इसके अन्तर्गत त, थ, द, ध, न आते हैं.

इनका उच्चारण दांत से होता हैं । इसलिए इन्हें Dantya Vyanjan कहा जाता हैं ।

5) "प" वर्ग ( ओष्ठव्य व्यंजन )

इसके अंतर्गत प, फ़, ब, भ, म आते हैं.

इनका उच्चारण होठों से होता हैं. इसलिए इन्हें hosth vyanjan कहा जाता हैं ।

2) अंत:स्थ व्यंजन - जीभ, तालू, दांत और ओष्ठ को परस्पर सटाने से इनका उच्चारण होता है लेकिन कभी भी पूर्ण रूप से स्पर्श नहीं करते हैं. इसलिए इन्हें Antasth Vyanjan कहा जाता हैं । उदाहरण - य, र, ल, व .

Ushma vyanjan kise kahate hain

3) उष्म व्यंजन - इनका उच्चारण एक प्रकार की रगण(घर्षण) से उत्पन्न उष्म ( गर्म ) वायु से होता है अर्थात जब हम बोलते हैं तो घर्षण के साथ गर्म वायु बाहर निकलती है . इसलिए इन्हें Ushma Vyanjan कहा जाता हैं ।

उदाहरण - श, ष, स, ह .

Sanyukt vyanjan kise kahate hai

4) संयुक्त व्यंजन - ऐसे वर्ण जो दो अलग-अलग वर्णों से मिलकर बने होते हैं. संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं. Sanyukt Vyanjan उदाहरण के लिए क्ष , त्र , ज्ञ , श्र .

1) क़् + स = क्ष ( K + Sh = Ksh )

2) त् + र = त्र ( T + Ra = Tra )

3) ज् + ञ = ज्ञ ( G + Ya = Gya )

4) ष् + र = श्र ( Sh + Ra = Shra )

Ucchipt vyanjan kise kahate hai

5) उछिप्त व्यंजन - मुंह में जीव्हा या अन्य किसी भाग को सिकोड़कर, किसी अन्य भाग की ओर जोर से फेंका जाए तो उसे उछिप्त व्यंजन कहा जाता है. उछिप्त व्यंजन वे ध्वनियाँ होती हैं जिन्हें मुंह के किसी भाग को सिकोड़कर या दबाकर, किसी अन्य भाग की ओर जोर से फेंकने से उत्पन्न किया जाता है। इस प्रक्रिया में ध्वनि को एक विशिष्ट तरीके से उत्पन्न किया जाता है, जिससे ध्वनि में एक विशेष प्रभाव उत्पन्न होता है। हिंदी वर्णमाला में उछिप्त व्यंजन दो प्रकार के होते हैं: ड़ और ढ़। इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ या मुंह के किसी अन्य भाग को तेजी से ध्वनि की दिशा में ले जाया जाता है, जिससे एक विशिष्ट ध्वनि उत्पन्न होती है। ये व्यंजन अन्य व्यंजनों से अलग होते हैं और इनका उपयोग शब्दों में विशेष ध्वनि प्रभाव लाने के लिए किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं. उदाहरण के लिए Uchhipt Vyanjan दो होते हैं - ड़ , ढ़ .


Dr. Mini Sharma

डॉ. मिनी शर्मा जी एक शिक्षिका और समाज सेविका है और ये विभिन्न सामाजिक तथा शैक्षणिक मुद्दों पर लेख प्रसारित करती हैं ।

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