स्वर किसे कहते हैं ? Swar kise kahate hai ? Prakar

स्वर किसे कहते हैं ? Swar kise kahate hai ? Prakar

आइए अब इस पोस्ट में हम स्वर के बारे में बात करते हैं . मैं आपको स्वर के बारे में विस्तार के साथ बताने जा रहा हूं . इस पोस्ट में हम जानेंगे कि - स्वर की परिभाषा क्या है ? स्वर की संख्या कितनी है ? स्वर कितने प्रकार के होते हैं ? कौन-कौन से स्वर हैं ? परीक्षा में स्वर से संबंधित किस प्रकार से प्रश्न आ सकते हैं .

Swar ki paribhasha

स्वर की परिभाषा- ऐसी ध्वनियां जिनके उच्चारण के लिए अन्य किसी और उनकी आवश्यकता नहीं होती है । स्वर की परिभाषा उन ध्वनियों से है जिन्हें उच्चारण के लिए किसी और ध्वनि की आवश्यकता नहीं होती है, यानी ये स्वतंत्र रूप से सुनी जा सकती हैं। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं, जो हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। स्वर को दो मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है: ह्रस्व स्वर (लघु स्वर) और गुरु स्वर (दीर्घ स्वर)। ह्रस्व स्वर वे हैं जिनका उच्चारण छोटा और त्वरित होता है, जैसे 'अ' और 'इ', जबकि गुरु स्वर लंबे और गहरे होते हैं, जैसे 'आ' और 'ई'। स्वर से संबंधित प्रश्न आमतौर पर परिभाषा, संख्या, और उनके प्रकार पर केंद्रित होते हैं।


Swar kitne hote hai

स्वर की संख्या- स्वर - हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं . अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ .

Swar ke prakar

स्वर के प्रकार - स्वर दो प्रकार के होते हैं -
1) ह्रस्व स्वर ( लघु स्वर )
2) गुरु स्वर ( दीर्घ स्वर )

Laghu swar kise kahate hai

1) ह्रस्व स्वर ( लघु स्वर ) की परिभाषा - लघु स्वर को उच्चारण करने में कम समय लगता है, इन स्वरों की कुल संख्या 4 होती है उदाहरण अ, इ, उ, ऋ . ( अ, इ, उ, ऋ मूल स्वर होते हैं क्योंकि यह स्वतंत्र अक्षर है, इन्हें किसी दूसरे स्वर से संयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं.) ह्रस्व स्वर (लघु स्वर) वे स्वर हैं जिनका उच्चारण कम समय में और त्वरित ढंग से किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में ह्रस्व स्वर की कुल संख्या 4 होती है: अ, इ, उ, और ऋ। इन स्वरों को उच्चारण करते समय स्वर की अवधि छोटी होती है, और ये स्वतंत्र रूप से उपयोग किए जा सकते हैं। ह्रस्व स्वर मूल स्वर होते हैं, जिनका उच्चारण किसी अन्य स्वर या ध्वनि की सहायता के बिना स्वतंन्त्र रूप से किया जा सकता है। इनकी छोटी ध्वनि अवधि उन्हें पहचानने योग्य बनाती है।

Dirgh swar kise kahate hai
2) गुरु स्वर ( दीर्घ स्वर ) की परिभाषा - दीर्घ स्वर के उच्चारण करने में अधिक समय लगता है. इन स्वरों की कुल संख्या 7 होती है . गुरु स्वर (दीर्घ स्वर) वे स्वर हैं जिनका उच्चारण अधिक समय तक और गहराई से किया जाता है, जिनकी कुल संख्या 7 होती है। ये दो प्रकार के होते हैं: मूल गुरु स्वर और संयुक्त गुरु स्वर। मूल गुरु स्वर में आ, ई, और ऊ शामिल हैं, जो क्रमशः अ + अ, इ + इ, और उ + उ के संयोग से बनते हैं और स्वतंत्र रूप से उपयोग किए जा सकते हैं। संयुक्त गुरु स्वर में ए, ऐ, ओ, और औ शामिल हैं, जो अन्य स्वरों के संयोग से बनते हैं, जैसे अ + इ = ए और अ + उ = ओ। संयुक्त स्वर अन्य स्वरों से मिलकर बनते हैं और स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त नहीं होते हैं। गुरु स्वर दो प्रकार के होते हैं-

अ) मूल स्वर आ, ई, ऊ
आ = अ + अ
ई = इ + इ
ऊ = उ + उ
( आ, ई, ऊ मूल स्वर हैं क्योंकि यह स्वतंत्र अक्षर होते हैं . यह भले ही समान अक्षर से संयोग करते हैं लेकिन इन्हें किन्ही दूसरे अक्षरों से संयोग करने की आवश्यकता नहीं होती.)

ब) संयुक्त स्वर ए, ऐ, ओ, औ .
अ + इ = ए
अ + ए = ऐ
अ + उ = ओ
आ + ओ = औ
( ए, ऐ, ओ, औ संयुक्त स्वर होते हैं क्योंकि इन्हें दूसरे स्वरों से संयोग करने की आवश्यकता पड़ती है.)

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Vowels in hindi - अंग्रेजी में स्वर की संख्या गिना जाए तो सिर्फ 5 स्वर होते हैं ( A E I O U ) लेकिन हिंदी में स्वर की बात की जाए तो 11 स्वर होते हैं. यह जो 5 स्वर अंग्रेजी में होते हैं यदि हम इन्हें ही विस्तृत रूप से देखें तो इनका ही हिंदी अर्थ में यह 11 रूपों में हो जाते हैं . इस आर्टिकल पोस्ट में हमने हिंदी में स्वर के बारे में देखा है . स्वर भाषाशास्त्र में महत्वपूर्ण ध्वनियाँ हैं, जो स्वतंत्र रूप से उच्चारित की जा सकती हैं और जिनका उच्चारण वोकल कॉर्ड्स के कंपन से होता है। स्वर की मुख्य श्रेणियाँ ह्रस्व (लघु) स्वर और गुरु (दीर्घ) स्वर होती हैं। ह्रस्व स्वर की ध्वनि अवधि छोटी होती है और इनका उच्चारण कम समय में होता है। हिंदी में ह्रस्व स्वर में 'अ', 'इ', 'उ', और 'ऋ' शामिल हैं। ये स्वर स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होते हैं और इनके उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरी ओर, गुरु स्वर की ध्वनि अवधि लंबी और गहरी होती है। इनमें 'आ', 'ई', 'ऊ', 'ए', 'ऐ', 'ओ', और 'औ' शामिल हैं। गुरु स्वर लंबे समय तक उच्चारित होते हैं और इनमें स्वर की गहराई और विस्तार होता है।

स्वर का वर्गीकरण भाषाई ध्वनियों के अध्ययन में महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह भाषाई संरचना और ध्वन्यात्मक विशेषताओं को स्पष्ट करता है। स्वर का सही उपयोग भाषा की समझ और संप्रेषण क्षमता को बेहतर बनाता है। हर भाषा में स्वर की विशेषताएँ और उनकी ध्वनियाँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन इनका अध्ययन भाषाई अभिव्यक्ति और संवाद को समझने में सहायक होता है। स्वर की विभिन्न श्रेणियाँ न केवल ध्वनि की विविधता को दर्शाती हैं, बल्कि भाषा के वर्णमाला और शब्द निर्माण की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Dr. Mini Sharma

डॉ. मिनी शर्मा जी एक शिक्षिका और समाज सेविका है और ये विभिन्न सामाजिक तथा शैक्षणिक मुद्दों पर लेख प्रसारित करती हैं ।

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