संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar

संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar

संधि एक महत्वपूर्ण भाषाई प्रक्रिया है जिसमें वर्णों या शब्दों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार या परिवर्तन को संधि कहा जाता है। यह प्रक्रिया अक्षरों या शब्दों को मिलाकर नए रूप में प्रकट करने में मदद करती है। संधि का तात्पर्य वर्णों का योग या शब्दों का जोड़ने से हैजिससे भाषा की संरचना और अर्थ में विविधता आती है। उदाहरण के तौर पर, "विद्या" और "आलय" शब्दों के मेल से "विद्यालय" शब्द बनता हैजिसमें वर्णों का योग और परिवर्तन देखा जा सकता है।


संधि के मुख्य प्रकार स्वर संधिव्यंजन संधिऔर विसर्ग संधि होते हैं। स्वर संधि में दो स्वरों के मिलकर नए स्वर का निर्माण होता हैव्यंजन संधि में व्यंजन और स्वर या दो व्यंजन मिलकर नया व्यंजन उत्पन्न करते हैंऔर विसर्ग संधि में विसर्ग (ः) और स्वर के मिलने पर विसर्ग का स्वर में बदलाव होता है। ये संधियाँ भाषा के शब्द निर्माण और अर्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और शब्दों में सहजता और अर्थ की गहराई लाती हैं।

संधि किसे कहते हैं ? ( Sandhi kise kahate hai ?)

वर्णों(अक्षर) के मेल से जो ) विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उसे ही संधि (Sandhi) कहा जाता है । 
संधि का तात्पर्य होता है = योग (जोड़ना = वर्णों का योग अथवा शब्दों का योग किया जाता है ।) संधि भाषा में वर्णों या शब्दों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार या परिवर्तन को कहते हैं। यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अक्षर या शब्द आपस में मिलकर नए रूप या स्वरूप में प्रकट होते हैं। उदाहरण के तौर पर, "विद्या" और "आलय" के मेल से "विद्यालय" शब्द बनता है, जिसमें संधि के कारण वर्णों का योग और परिवर्तन होता है। संधि के मुख्य प्रकार हैं स्वर संधि, वर्ण संधि, और विसर्ग संधि, जिनके माध्यम से भाषा की शब्दावली और अर्थ में विविधता और सुंदरता आती है । उदाहरण :- विद्या + आलय = विद्यालय .

Sandhi Ke Prakar

संधि कितने प्रकार के होते हैं ? =>संधि तीन मुख्य प्रकार की होती है: स्वर संधि, व्यंजन संधि, और विसर्ग संधि । संधि मुख्यतः तीन प्रकार की होती है: स्वर संधि, व्यंजन संधि, और विसर्ग संधि। स्वर संधि में दो स्वरों के मिलकर नए स्वर का निर्माण होता है। व्यंजन संधि में व्यंजन और स्वर या दो व्यंजन मिलकर नया व्यंजन उत्पन्न करते हैं। विसर्ग संधि में विसर्ग (ः) और स्वर के मिलने पर विसर्ग का स्वर में बदलाव होता है। ये संधियाँ भाषा के शब्द निर्माण और अर्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन संधियों से शब्दों में सहजता और अर्थ की गहराई आती है। संधि तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं :-

1) स्वर संधि (Swar Sandhi)

2) व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi)

3) विसर्ग संधि (Visarg Sandhi)

1) स्वर संधि - Swar Sandhi

स्वर वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उन्हें स्वर संधि (Swar Sandhi) कहा जाता है । · स्वर संधि (Swar Sandhi) वह प्रक्रिया है जिसमें स्वर वर्णों के आपसी मेल से उत्पन्न होने वाले विकार या परिवर्तन को स्वर संधि कहा जाता है। इसमें स्वरों के मिलन से नए स्वर या ध्वनि का निर्माण होता है, जो भाषाई अर्थ और उच्चारण को प्रभावित करता है। स्वर संधि पांच प्रकार की होती है: दीर्घ संधि, गुण संधि, यण संधि, अयादि संधि, और वृद्धि संधि। दीर्घ संधि में स्वर की मात्रा बढ़ जाती है, गुण संधि में स्वर का गुणात्मक परिवर्तन होता है, यण संधि में स्वर के यण रूप का निर्माण होता है, अयादि संधि में स्वर के विशिष्ट नियम लागू होते हैं, और वृद्धि संधि में स्वर की ध्वनि और गुण में वृद्धि होती है। इन संधियों के माध्यम से शब्दों की संरचना और अर्थ में स्वाभाविक परिवर्तन आता है, जिससे भाषा की सुंदरता और अर्थवत्ता बढ़ती है। स्वर = अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं (अनुनासिक) .

Swar Sandhi Ke Prakar

स्वर संधि पांच प्रकार के होते हैं :-

i) दीर्घ सन्धि - Dirgh Sandhi

ii) गुण सन्धि - Gun Sandhi

iii) यण सन्धि - Yan Sandhi

iv) अयादि सन्धि - Yadi Sandhi

v) वृद्धि सन्धि - Vriddhi Sandhi

i) दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi

जब एक समान लघु स्वर या दीर्घ स्वर का आपस में मेल हो तो वहां दीर्घ स्वर संधि उत्पन्न होता है ।

जैसे :-

1) अ  + अ = आ

2) अ + आ = आ

3) आ + अ = आ

लघु स्वर(ह्रस्व स्वर) = अ, इ, उ, ऋ

दीर्घ स्वर (गुरु स्वर) = आ, ई, यू, ए, ऐ, ओ, औ

इसी प्रकार से (अ या आ), (इ या ई), (उ या ऊ), (ऋ या ॠ)  का आपस में मेल करने से दीर्घ स्वर उत्पन्न होता है ।

दीर्घ स्वर संधि
Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan

ऊदिए गए चित्र में आप दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan समझने का प्रयास करें ।
·जब एक समान लघु स्वर (ह्रस्व स्वर) या दीर्घ स्वर (गुरु स्वर) का आपस में मेल होता है, तो वहां दीर्घ स्वर संधि उत्पन्न होती है। दीर्घ स्वर संधि वह प्रक्रिया है जिसमें दो समान स्वर मिलकर एक दीर्घ स्वर का निर्माण करते हैं। उदाहरण के लिए, जब दो समान लघु स्वर या दीर्घ स्वर एक दूसरे के साथ मिलते हैं, तो उनका मेल एक दीर्घ स्वर उत्पन्न करता है। उदाहरण के तौर पर, जब '' और '' मिलते हैं, तो परिणामस्वरूप '' स्वर उत्पन्न होता है। इसी प्रकार, '' और '' के मेल से भी '' बनता है, और '' और '' के मेल से भी '' ही प्राप्त होता है।
·लघु स्वर (ह्रस्व स्वर) में '', '', '', और '' शामिल होते हैं, जबकि दीर्घ स्वर (गुरु स्वर) में '', '', '', '', '', '', और '' शामिल हैं। जब इन स्वरों का आपस में मेल होता है, जैसे कि '' और '', '' और '', '' और '', या '' और '', तो दीर्घ स्वर का निर्माण होता है। स्वर संधि की इस प्रक्रिया से भाषा में उच्चारण की स्पष्टता और अर्थ की गहराई आती है। दीर्घ स्वर संधि का यह प्रभाव भाषा की संरचना और शब्द निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे शब्दों की ध्वनि और स्वरूप में एक निरंतरता और सामंजस्य बना रहता है। यह प्रक्रिया भाषा की ध्वन्यात्मक विविधता को बनाए रखने और संचार में स्पष्टता को सुनिश्चित करने में सहायक होती है।

ii) गुण सन्धि – Guna Sandhi

जब "अ" या "आ" के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ या लृ आ जाए तो क्रमशः ए, ओ, अर् तथा अल् हो जाता है ।

जैसे कि :-

1) अ/आ + इ/ई    = ए

2) अ/आ + उ/ऊ   = ओ

3) अ/आ + ऋ       = अर्

4) अ/आ + लृ        = अल्

गुण स्वर संधि
Gun Swar Sandhi Ka Udaharan
दिए गए चित्र के माध्यम से आप गुण स्वर संधि का उदाहरण समझ सकते हैं ।

iii) वृद्धि  सन्धि - Vriddhi Sandhi

जब "अ" या "आ" के आगे ए /ऐ या ओ/औ आए तो क्रमशः "ऐ" और "औे" हो जाता है ।

उदाहरण :-

1) अ  +  ए  = ऐ.   

2) अ  +  ऐ  = ऐ.    

3) आ + ए   = ऐ.     

4) आ + ऐ   =  ऐ.     

5) अ  + ओ = औ.  

6) अ  + औ = औ. 

7) आ + ओ = औ.    

8) आ + औ = औ.

वृद्धि स्वर संधि
Vriddhi Swar Sandhi Ka Udaharan
दिए गए चित्र की सहायता से आप Vriddhi Swar Sandhi को समझ सकते हैं ।

4) यण संधि - Yan Sandhi

जब लघु या दीर्घ इ,उ,ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो इ,ई का य और उ,ऊ का व् और ऋ का र् हो जाता है, इसे यण स्वर संधि (Yan Swar Sandhi) कहते हैं ।

उदाहरण :- 

इ   + अ    =  य्   

इ   + आ   =  या

उ   + आ   =  वा

ऋ  + आ   =  र्  

लृ   + आ   =  ला

Yan Swar Sandhi
Yan Swar Sandhi Ka Udaharan

चित्र में दिए गए उदाहरण की सहायता से यण स्वर संधि को समझने का प्रयास कीजिए ।

v) अयादि सन्धि - Ayadi Sandhi

जब ए, ओ, ऐ, औ के बाद कुछ भी स्वर आए तो ए का अय्, ओ का अव, ऐ का आय एवं औ का आव् हो जाता है । इसे अयादि स्वर संधि कहते है ।

उदाहरण :- 

ए+अ=अय   

ऐ+अ=आय्

ओ+इ=अव

1) ए+अ=अय      - चे  + अयन = चयन 

2) ऐ+अ=आय्    - नै + अक   = नायक 

3) ओ+इ=अवि      - पो + इत्र  =  पवित्र

Ayadi Swar Sandhi
Ayadi Swar Sandhi Ka Udaharan


चित्र में दिए गए उदाहरण की सहायता से Ayadi Swar Sandhi को समझिए ।

Vyanjan Sandhi Kise Kahate Hai

2) व्यंजन संधि - Vyanjan Sandhi

आप हम व्यंजन संधि के बारे में अध्ययन करने जा रहे हैं . हम व्यंजन संधि को उदाहरण के साथ देखेंगे . व्यंजन संधि दो प्रकार से बनते हैं :-

अ) व्यंजन संधि की परिभाषा - जब किसी स्वर अक्षर के साथ व्यंजन अक्षर का मेल होता है तो वहां व्यंजन संधि उत्पन्न होता है ।

ब) व्यंजन संधि की दूसरी परिभाषा - जब किसी व्यंजन अक्षर के साथ व्यंजन अक्षर का मेल होता है तो वहां व्यंजन संधि उत्पन्न होता है ।

अर्थात जब दो वर्णों में मेल होता है तो उनमें से एक वर्ण यदि व्यंजन है तो दूसरे वर्ण को स्वर या व्यंजन होना चाहिए । इस प्रकार से व्यंजन संधि की उत्पत्ति होती है ।

स्वर - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं (अनुनासिक) .

व्यंजन - क, ख, ग, ...से... ज्ञ तक ।

उदाहरण - 

1) दिक् + अम्बर = दिगम्बर.

2) जगत + ईश = जगदीश.

Vyanjan sandhi
Vyanjan Sandhi Ka Udaharan

Vyanjan Sandhi ki udaharan
Vyanjan Sandhi Ke Udaharan
इन चित्रों की सहायता से आप व्यंजन संधि का उदाहरण समझने का प्रयास करें ।

Visarg Sandhi Kise Kahate Hai

3) विसर्ग संधि - Visarg Sandhi

जब विसर्ग (:) के बाद कोई भी अक्षर आए तो वहां पर, विसर्ग संधि होता है । विसर्ग(अ:) के बाद स्वर अक्षर आए या व्यंजन अक्षर वहां विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) ही होता है ।

उदाहरण :- 

1) नि: + चल = निश्चल,

2) धनु: + टकार = धनुष्टकार,

3) नि: + तार = निस्तार,

4) पुनर् + उक्ति = पुनरुक्ति,

5) अंतर् + करण = अंतःकरण,

6) मनः + भाव = मनोभाव,

7) यशः + दा = यशोदा,

8) नि: + संदेह = निस्संदेह,

9) दू: + शासन = दुशासन.

स्वर संधि विशेष रूप से स्वर वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार या परिवर्तन को दर्शाती है। स्वर संधि की पांच प्रमुख प्रकार की होती हैं: दीर्घ संधि, गुण संधि, यण संधि, अयादि संधि, और वृद्धि संधि। दीर्घ संधि में एक समान लघु स्वर या दीर्घ स्वर का आपस में मेल होने पर दीर्घ स्वर उत्पन्न होता है। उदाहरण के तौर पर, '' और '' मिलकर '' बनता है। गुण संधि में '' या '' के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ या लृ आने पर स्वर का गुणात्मक परिवर्तन होता है, जैसे '' या '' और '' के मेल से '' बनता है। वृद्धि संधि में '' या '' के बाद ए/ऐ या ओ/औ आने पर स्वर का विशेष परिवर्तन होता है, जैसे '' और '' के मेल से '' बनता है। यण संधि में लघु या दीर्घ इ, , ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आने पर स्वर का यण रूप उत्पन्न होता है, जैसे '' और '' के मेल से 'य्' बनता है। अयादि संधि में ए, , , औ के बाद कुछ भी स्वर आने पर स्वर का विशेष परिवर्तन होता है, जैसे '' और '' के मेल से 'अय' बनता है।

व्यंजन संधि तब उत्पन्न होती है जब स्वर अक्षर के साथ व्यंजन अक्षर का मेल होता है या दो व्यंजन अक्षरों के मेल से नया व्यंजन बनता है। उदाहरण के लिए, 'दिक्' और 'अम्बर' के मिलन से 'दिगम्बर' बनता है। विसर्ग संधि तब होती है जब विसर्ग (ः) के बाद कोई भी अक्षर आए, जैसे 'नि:' और 'चल' के मिलन से 'निश्चल' बनता है। इन संधियों के माध्यम से शब्दों का उच्चारण, अर्थ, और भाषा की संरचना में स्वाभाविक बदलाव और समृद्धि आती है, जिससे भाषा की सुंदरता और स्पष्टता में वृद्धि होती है।


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