विश्व की भाषाओं का रोचक वर्गीकरण | Vishva Ki Bhasha

विश्व की भाषाओं का रोचक वर्गीकरण | Vishva Ki Bhasha

पुरानी कहावत है, "चार कोस में पानी बदलता है, आठ कोस में बानी!" इसका अर्थ है कि हर चार कोस (लगभग 12 किलोमीटर) पर पानी का स्वाद बदल जाता है, और हर आठ कोस (लगभग 24 किलोमीटर) पर भाषा या बोली में बदलाव आ जाता है। इस आधार पर सोचें कि इतने विशाल विश्व (world) में कितनी भाषाएँ और बोलियाँ होंगी ( Vishva Ki Bhashayen )! कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि विश्व में 7159 से भी अधिक भाषाएँ मौजूद हैं।

Vishva ki bhasha
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आइए, विश्व की भाषाओं के वर्गीकरण (classification) को समझते हैं। भाषाओं को कई आधारों पर बाँटा गया है, जो निम्नलिखित Bhashao Ka Vargikaran हैं:-

भाषाओं के वर्गीकरण के आधार

  1. महाद्वीप के आधार पर (Continental Basis)
    • एशियाई भाषाएँ: जैसे हिन्दी, चीनी।
    • यूरोपीय भाषाएँ: जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच।
    • अफ्रीकी भाषाएँ: जैसे स्वाहिली।
  2. देश के आधार पर (Country Basis)
    • चीनी भाषाएँ: मंदारिन, कैंटोनीज।
    • भारतीय भाषाएँ: हिन्दी, तमिल।
  3. धर्म के आधार पर (Religious Basis)
    • हिन्दू भाषाएँ: हिन्दी, संस्कृत।
    • मुस्लिम भाषाएँ: अरबी, उर्दू।
    • ईसाई भाषाएँ: लैटिन, ग्रीक।
  4. काल के आधार पर (Chronological Basis)
    • प्रागैतिहासिक भाषाएँ
    • प्राचीन भाषाएँ: जैसे संस्कृत।
    • मध्ययुगीन भाषाएँ
    • आधुनिक भाषाएँ: जैसे आज की हिन्दी।
  5. भाषाई संरचना के आधार पर (Structural Basis)
    • अयोगात्मक (Isolating) भाषाएँ: जैसे चीनी, जहाँ शब्द (word) नहीं बदलते।
    • योगात्मक (Agglutinative) भाषाएँ: जैसे तुर्की, जहाँ शब्दों को जोड़ा जाता है।
  6. परिवार के आधार पर (Family Basis)
    • भारोपीय (Indo-European) भाषाएँ: हिन्दी, अंग्रेजी।
    • द्रविड़ भाषाएँ: तमिल, तेलुगु।
    • चीनी भाषाएँ: मंदारिन।
  7. प्रभाव के आधार पर (Influence Basis)
    • संस्कृत प्रभावित भाषाएँ: हिन्दी, मराठी।
    • फारसी प्रभावित भाषाएँ: उर्दू, पंजाबी।
सबसे महत्वपूर्ण वर्गीकरण भाषा का पारिवारिक वर्गीकरण है, जिसे वंशात्मक (genealogical) या ऐतिहासिक (historical) वर्गीकरण भी कहा जाता है।

Vishva Ki Bhasha

विश्व की भाषाओं को 13 मुख्य भाषा परिवारों (language families) में बाँटा गया है। इन ( Bhasha Parivar ) का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:
1. भारोपीय (Indo-European) परिवार
यह परिवार विश्व का सबसे बड़ा भाषा परिवार ( Bharopiy Bhasha) है।
मुख्य भाषाएँ: हिन्दी, अंग्रेजी, फारसी, रूसी।
2. चीनी-तिब्बती (Sino-Tibetan) परिवार
इसे एकाक्षरी (monosyllabic) भाषा परिवार भी कहते हैं।
क्षेत्र (Source): चीन, तिब्बत, म्यांमार, थाईलैंड, भारत (मणिपुर और असम)।
मुख्य भाषाएँ: मंदारिन (चीन की राष्ट्रभाषा), कैंटोनीज, तिब्बती।
विशेषताएँ:
  • ये भाषाएँ अयोगात्मक (isolating) होती हैं, अर्थात् शब्द (word) एक अक्षर के होते हैं और न बढ़ते हैं, न घटते हैं, न बदलते हैं।
  • वाक्य में शब्दों का स्थान बदलने पर भी उनका रूप नहीं बदलता।
  • इनमें व्याकरण (grammar) का अभाव होता है, जबकि भारोपीय भाषाओं में व्याकरण महत्वपूर्ण होता है।
  • एक ही शब्द (word) संज्ञा, क्रिया या विशेषण के रूप में प्रयोग हो सकता है।
  • अनुनासिक ध्वनियों (nasal sounds) का अधिक प्रयोग होता है।
  • इनकी लिपियाँ (scripts) ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई हैं।
3. द्रविड़ (Dravidian) परिवार
क्षेत्र (Source): दक्षिण भारत, श्रीलंका, लक्षद्वीप, बलुचिस्तान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार और ओडिशा के कुछ हिस्से।
मुख्य भाषाएँ: तमिल, मलयालम, तेलुगु, कन्न आदि।
विशेषताएँ:
  • ये भाषाएँ संस्कृत से प्रभावित हैं।
  • इनकी लिपियाँ (scripts) भी ब्राह्मी से निकली हैं।
4. सेमिटिक-हैमिटिक (Afro-Asiatic) परिवार
क्षेत्र (Source): उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, मिस्र, इराक, अरब, सीरिया, फिलिस्तीन, इथियोपिया, मोरक्को, अल्जीरिया, लीबिया।
मुख्य भाषाएँ: हिब्रू, अरबी, अक्कादियन, सुमेरियन।
विशेषताएँ:
  • अरबी भाषा इस परिवार की सबसे समृद्ध भाषा रही है।
  • इसने यूरोप और एशिया की भाषाओं (जैसे अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, हिन्दी, मराठी, गुजराती) को प्रभावित किया है।
5. यूराल-अल्टाइक (Ural-Altaic) परिवार
क्षेत्र (Source): यूराल और अल्टाई पर्वतों के बीच, तुर्की, सोवियत संघ, हंगरी, फिनलैंड।
मुख्य भाषाएँ: फिनिश (फिनलैंड), हंगेरियन (हंगरी), तुर्की, अज़रबैजानी, उज़बेक, मंगोलियाई।
विशेषताएँ: यह क्षेत्रफल में भारोपीय के बाद सबसे बड़ा परिवार है।
6. काकेशियन (Caucasian) परिवार
क्षेत्र (Source): कैस्पियन सागर और कृष्ण सागर के बीच, काकेशस पर्वत और आसपास का क्षेत्र।
मुख्य भाषाएँ: चेचेन, कबार्डियन, अवार, जॉर्जियाई।
7. जापानी-कोरियाई (Japonic-Korean) परिवार
क्षेत्र (Source): जापान, कोरिया और आसपास के द्वीप।
मुख्य भाषाएँ: जापानी, कोरियाई।
8. मलय-पॉलिनेशियन (Austronesian) परिवार
क्षेत्र (Source): पश्चिम में मेडागास्कर से लेकर पूर्व में ईस्टर द्वीप तक, उत्तर में फॉर्मोसा से दक्षिण में न्यूज़ीलैंड तक।
मुख्य भाषाएँ: मलय, इंडोनेशियाई, न्यूज़ीलैंड की माओरी।
9. आस्ट्रो-एशियाटिक (Austroasiatic) परिवार
इसे आग्नेय (Mon-Khmer) परिवार भी कहते हैं।
क्षेत्र (Source): म्यांमार, निकोबार, कम्बोडिया, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु।
मुख्य भाषाएँ: संथाली, मुंडारी, भूमिज, कोल।
10. बुशमैन (Khoisan) परिवार
क्षेत्र (Source): दक्षिण अफ्रीका में अरिंज नदी से नगामी झील तक।
मुख्य भाषाएँ: ऐकवे, औकवे, हतिर्तात।
11. बांटू (Bantu) परिवार
क्षेत्र (Source): मध्य और दक्षिणी अफ्रीका, जंजीबार द्वीप।
मुख्य भाषाएँ: स्वाहिली, ज़ुलु, सेसुतो।
विशेषताएँ: इसमें लगभग 150 भाषाएँ शामिल हैं।
12. सुडान (Nilo-Saharan) परिवार
क्षेत्र (Source): अफ्रीका में भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण-पूर्व से पश्चिम तक।
मुख्य भाषाएँ: हौसा, सोहंगदू, इवे, बोटू।
विशेषताएँ: इसमें लगभग 400 भाषाएँ शामिल हैं।
13. अमेरिकी (Amerindian) परिवार
क्षेत्र (Source): उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ग्रीनलैंड और आसपास के द्वीप।
मुख्य भाषाएँ: एस्किमो (ग्रीनलैंड), अथबस्कन (कनाडा), नहुआत्ल (मेक्सिको)।
विशेषताएँ: यहाँ लगभग 1000 बोलियाँ और भाषाएँ बोली जाती हैं।

World Launguage in Hindi

निष्कर्ष - विश्व की भाषाएँ उनकी उत्पत्ति, संरचना और प्रभाव के आधार पर कई परिवारों में बँटी हैं। हर भाषा एक अनमोल धरोहर है, जो अपनी संस्कृति और इतिहास को संजोए रखती हैं । यह जानकारी सामान्य स्रोतों (sources) और अध्ययन के आधार पर लिखी गई है।
आचार्य पुष्पेंद्र शर्मा

आचार्य पुष्पेंद्र शर्मा जी, जिन्हें 15 वर्षों के शिक्षण अनुभव प्राप्त हैं व UGC-NET/JRF/CSIR-NET उत्तीर्ण विशेषज्ञ हैं, जो हर लेख को गहन शोध और तथ्यात्मक विश्लेषण के साथ प्रस्तुत करते हैं ।

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