संबंधबोधक अव्यय क्या है ? Sambandh Bodhak के प्रकार और उदाहरण ।

संबंधबोधक अव्यय क्या है ? Sambandh Bodhak के प्रकार और उदाहरण ।

हम जानने जा रहे हैं संबंधबोधक अव्यय के बारे में तो आइए हम इसके उदाहरण और प्रकार के बारे में देखते हैं । संबंधबोधक अव्यय (Preposition) वे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ मिलकर वाक्य में अन्य शब्दों के बीच संबंध स्पष्ट करते हैं। ये अव्यय वाक्य की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विभिन्न प्रकार के संबंधों को व्यक्त करते हैं, जैसे काल, स्थान, दिशा, साधन, विरोध, समता, हेतु, सहचरता, विषय, संग्रह, कारण और सीमा। उदाहरण के लिए, "के लिए" उद्देश्य दर्शाता है, "में" स्थान को स्पष्ट करता है, और "के साथ" सहचरता को व्यक्त करता है। इस प्रकार, संबंधबोधक अव्यय वाक्यों को अधिक सटीक और स्पष्ट बनाते हैं, जिससे संप्रेषण और समझ में आसानी होती है। आइये अब हम जानते है कि Sambandh Bodhak Avyay Kise kahate hai तो देखते है संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा :- ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द को वाक्य के अन्य शब्दों के साथ जोड़ते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय (Preposition) कहा जाता है । इन शब्दों को "परसर्ग" भी कहा जाता है ।   दूसरे शब्दों में परिभाषा :- "ऐसे अविकारी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर उसी वाक्य में अन्य शब्द के साथ संबंध बताए तो उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है" । अब हम बात करते है  Sambandh Bodhak Avyay Ke Udaharan के बारे में तो आइये देखते है  संबंध बोधक अव्यय का उदाहरण  :- और, एवं, तुल्य, सदृश, कारण, अपेक्षा इस तरह के शब्द संबंधबोधक अव्यय के अंतर्गत आते हैं ।


Sambandh Bodhak Avyay Ke Prakar

अब हम बात करते है संबंधबोधक अव्यय के प्रकार के बारे में तो देखते है अब हम जानने जा रहे हैं कि संबंधबोधक अव्यय कितने प्रकार के होते हैं हम संबंधबोधक अव्यय के प्रकारों एवं उनकी परिभाषा तथा उनके उदाहरण के बारे में अध्ययन करेंगे । संबंधबोधक अव्यय निम्नलिखित 12 प्रकार के होते हैं :- 1) काल-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 2) स्थान-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 3) दिशा-बोधक संबंध बोधक अव्यय , 4 साधन-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 5. विरोध-सूचक संबंध बोधक अव्यय , 6) समता-सूचक संबंध बोधक अव्यय , 7) हेतु-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 8) सहचर-सूचक संबंध बोधक अव्यय , 9) विषय-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 10) संग्रवाचक संबंध बोधक अव्यय , 11) कारण-वाचक संबंध बोधक अव्यय , 12) सीमा-वाचक संबंध बोधक अव्यय . संबंधबोधक अव्यय विभिन्न प्रकार के होते हैं जो वाक्य में विभिन्न प्रकार के संबंधों को व्यक्त करते हैं। काल-वाचक अव्यय जैसे "में" और "के बाद" समय का संकेत देते हैं, जबकि स्थान-वाचक अव्यय जैसे "पर" और "में" स्थान की जानकारी प्रदान करते हैं। दिशा-बोधक अव्यय जैसे "की ओर" दिशा का निर्धारण करते हैं, और साधन-वाचक अव्यय जैसे "के द्वारा" साधन या माध्यम को दर्शाते हैं। विरोध-सूचक अव्यय जैसे "के विपरीत" विरोधाभास को व्यक्त करते हैं, समता-सूचक अव्यय जैसे "जैसा" समानता को दर्शाते हैं, और हेतु-वाचक अव्यय जैसे "के लिए" उद्देश्य या कारण को स्पष्ट करते हैं। तो यह तो है सम्बन्ध बोधक अव्यय इन विभिन्न प्रकार के अव्ययों का उपयोग वाक्यों में संबंधों को स्पष्ट और सुसंगत बनाने के लिए किया जाता है।

1) काल वाचक :- काल-वाचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा अव्यय की परिभाषा - ऐसे अव्यय शब्द जिनसे समय का पता चल जाता है, उन्हें कालवाचक अव्यय शब्द कहा जाता है . उदाहरण :-  आगे, पीछे, पहले, बाद, पश्चात उपरांत इस प्रकार के शब्दों का जहां वर्णन होता है वहां कालवाचक अवयव शब्द पाया जाता है । जैसे :- 1) मोहन के बाद कौन आया था ? 2) रोहन के पीछे सुरेश खड़ा है ।

2) स्थान-वाचक :- स्थान वाचक सम्बन्ध बोधक अव्यय की परिभाषा - ऐसे अव्यय शब्द जो जगह के बारे में बताते हैं, उन्हें स्थान वाचक संबंध बोधक अव्यय शब्द कहा जाता है ।उदाहरण - बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, सामने, निकट इस प्रकार के शब्द जहां पर आते हैं, वहां स्थान वाचक संबंधबोधक अव्यय शब्द पाया जाता है । जैसे :- (1) मनीष मेरे घर के बाहर खड़ा है । 2) कोई भी मोहन और सोहन के झगड़े के बीच में मत पड़ना ।

3) दिशा वाचक :- अब हम बात करते है Disha Vachak Sambandh Bodhak Avyay के बारे में दिशा-वाचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा - ऐसे अव्यय शब्द जिनकी सहायता से दिशा के बारे में पता चलता है उन्हें दिशा वाचक संबंध बोधक अव्यय शब्द कहा जाता है । उदाहरण :- दाएं, बाएं, सामने, उत्तर, दक्षिण, यहां, वहां आदि तरह के शब्द दिशा वाचक संबंध बोधक अव्यय के अंतर्गत आते हैं । जैसे :- (1) दक्षिण दिशा में मत जाना वहां शेर है । (2) मोहन सामने आने पर तुम डांट खाओगे ।

4) साधन वाचक :- अब हम बात करते हैं Sadhan Vachak Sambandh Bodhak Avyay के बारे में तो साधन-वाचक संबंध बोधक अव्यय - वाक्य में पाए जाने वाले ऐसे अव्यय शब्द, जिनसे किसी साधन का पता चले उसे साधन वाचक संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है ।उदाहरण :- वाक्य में ऐसे शब्द जहां पर निमित्त, द्वारा, जरिये, भरोसे, सहारे,माध्यम आदि इस तरह के शब्दों का प्रयोग किया जाता है, वहां साधन वाचक संबंधबोधक अव्यय शब्द पाया जाता है । जैसे :- 1) सुरेश ने सोहन के माध्यम से गाड़ी चलाना सीखना है ।2) सोहन के सहारे मत रहना वह धोखेबाज है ।

5) विरोध सूचक :- आइये अब हम बात करते है Virodh Suchak Sambandh Bodhak Avyay के बारे में तो विरोध-सूचक संबंध बोधक अव्यय शब्द - ऐसे अव्यय शब्द जिनकी सहायता से वाक्य में विरोध का पता चलता है, उन्हें विरोध सूचक संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है । उदाहरण :- वाक्य में ऐसे शब्द जहां उल्टा , विरुद्ध, बनाम, खिलाफ , प्रतिकूल , विपरीत, विरोध आदि इस तरीके से शब्द पाए जाते हैं, वहां विरोध वाचक संबंधबोधक अव्यय पाया जाता है । जैसे :- (1) चोरों के खिलाफ पुलिस अभियान चला रही है । 2) भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच कब है ?

6) समता सूचक :- आइये अब हम बात करते है Samta suchak sambandh bodhak avyay के बारे में तो देखते है समता-सूचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा - ऐसे अव्यय शब्द जिनकी सहायता से वाक्य में समानता का बोध होता है, वहां समता सूचक अव्यय शब्द पाया जाता है । उदाहरण - समता सूचक संबंधबोधक अव्यय शब्दों के अंतर्गत समान , तुल्य , तरह , सदृश , सरिस, जैसा , वैसा आदि इस तरीके की शब्द जहां पर आते हैं, वहां समता सूचक संबंधबोधक अव्यय पाया जाता है । जैसे :- (1) कविता तो आशा भोसले के समान गाती है । (2) पीपर पात सरिस मन डोला ।

7) हेतु वाचक :- अब हम देखते है  Hetu Vachak Sambandh Bodhak Avyay Ki Paribhasha

तो आइये जानते है हेतु-वाचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा - वाक्य में ऐसे शब्द जहां पर रहित, अथवा, सिवा, अतिरिक्त आदि इस तरीके के शब्द पाए जाते हैं, वहां हेतुवाचक संबंधबोधक अव्यय होता है।

8) सहचर सूचक - अब हम बात करते है Sahchar Suchak Sambandh Bodhak Avyay के बारे में तो आइये देखते है सहचर-सूचक संबंध बोधक अव्यय शब्द - वाक्यों में ऐसे शब्द जहां समेत, संग, साथ आदि शब्द पाए जाते हैं, वहाँ पर सहचर-सूचक संबंध बोधक अव्यय होता है।

9) विषय वाचक :- अब हम बात करते है Vishay Vachak Sambandh Bodhak Avyay Shabd के बारे में तो आइये विषय-वाचक संबंध बोधक अव्यय शब्द की देखते है परिभाषा - वाक्यों में ऐसे शब्द जहाँ पर विषय लेख शब्द आते हैं, वहां पर विषय-वाचक संबंध बोधक होता है ।

10) संग्र वाचक - आइये बात करते है Sangra vachak sambandh Bodhak Avyay के बारे में और देखते है, संग्र-वाचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा :- वाक्यों में ऐसे शब्द, जिनमें समेत, भर, तक आदि इस प्रकार के शब्द पाए जाते हैं, वहाँ पर संग्र-वाचक संबंध बोधक अव्यय होता है। संग्र-वाचक संबंध बोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य में वस्तुओं, व्यक्तियों, या अवधारणाओं के संग्रह या समूह को दर्शाते हैं। ये अव्यय वाक्य में शामिल या समेटने का भाव व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, "सभी छात्रों समेत," "रात भर," और "समाप्ति तक" में "सभी," "भर," और "तक" शब्द संग्र-वाचक संबंध बोधक अव्यय हैं। यहाँ "सभी छात्रों समेत" में "सभी" दर्शाता है कि सभी छात्रों को शामिल किया गया है, "रात भर" में "भर" पूरी रात की अवधि को दर्शाता है, और "समाप्ति तक" में "तक" किसी समय की सीमा को समेटता है। इन अव्ययों का उपयोग वाक्य में संपूर्णता या समावेश को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है।

11) कारण वाचक - आइये देखते है Karan Vachak Sambandh Bodhak Avyay को और जानते है कारण-वाचक संबंध बोधक अव्यय की परिभाषा - वाक्य में ऐसे अव्यय शब्द जिनमें कारण , हेतु, वास्ते, निमित्त, खातिर, बाबत आते है, वहाँ पर कारणवाचक संबंध-बोधक अव्यय पाया जाता है। जैसे :- (1) तुम मेहनत के कारण पास हुए हो । 2) सोहन किस हेतु यहां आया है ।

12) सीमा वाचक - आइये बात करते है Sima vachak Sambandh Bodhak Avyay के बारे में और देखते है , सीमा-वाचक संबंध बोधक अव्यय शब्द की परिभाषा  :- वाक्य में पाए जाने वाले ऐसे, जिनसे सीमा का बोध होता है, उन्हें सीमा-वाचक संबंध बोधक कहते हैं। सीमा-वाचक संबंध बोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य में सीमा या अंत का संकेत देते हैं। ये अव्यय वाक्य में किसी क्रिया, वस्तु या समय की सीमा को स्पष्ट करते हैं। उदाहरण के लिए, "तक," "पर्यन्त," "भर," और "मात्र" ऐसे शब्द हैं जो सीमा का बोध कराते हैं। जैसे वाक्य में "हम शाम तक काम करेंगे" में "तक" सीमा को दर्शाता है कि कार्य शाम तक जारी रहेगा। इसी प्रकार, "रात भर" में "भर" रात की पूरी अवधि को सीमित करता है। इन अव्ययों का उपयोग वाक्य को अधिक सटीक और अर्थपूर्ण बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण - वाक्य में ऐसे शब्द जहाँ पर तक, पर्यन्त, भर, मात्र आदि आते है, वहाँ पर सीमा-वाचक संबंध बोधक अव्यय पाया जाता है।

Sambandh Bodhak Avyay

संबंधबोधक अव्यय, जिन्हें "परसर्ग" भी कहा जाता है, वाक्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये संज्ञा या सर्वनाम को वाक्य के अन्य हिस्सों के साथ जोड़ते हैं और उनके बीच के संबंध को स्पष्ट करते हैं। ये अव्यय वाक्य की संरचना में अभिन्न अंग होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के संबंधों को व्यक्त करने में सहायक होते हैं। संबंधबोधक अव्यय के प्रकारों में काल-वाचक, स्थान-वाचक, दिशा-बोधक, साधन-वाचक, विरोध-सूचक, समता-सूचक, हेतु-वाचक, सहचर-सूचक, विषय-वाचक, संग्र-वाचक, कारण-वाचक, और सीमा-वाचक अव्यय शामिल हैं। प्रत्येक प्रकार के अव्यय वाक्य में विशेष प्रकार के संबंधों को दर्शाते हैं, जिससे संवाद और अर्थ की स्पष्टता बढ़ती है। 

काल-वाचक संबंधबोधक अव्यय जैसे "में," "के बाद," और "पूर्व" समय की सीमा और अवधि को स्पष्ट करते हैं। उदाहरण के लिए, "हम शाम तक काम करेंगे" में "तक" कार्य की सीमा को दर्शाता है। स्थान-वाचक अव्यय जैसे "पर," "में," और "सामने" स्थान की जानकारी प्रदान करते हैं, जैसे "मनीष मेरे घर के बाहर खड़ा है।" दिशा-बोधक अव्यय जैसे "दक्षिण," "सामने," और "दाएं" दिशा का निर्धारण करते हैं, जैसे "दक्षिण दिशा में मत जाना।" साधन-वाचक अव्यय जैसे "के माध्यम से," "द्वारा," और "के सहारे" साधन या माध्यम को स्पष्ट करते हैं, जैसे "सुरेश ने सोहन के माध्यम से गाड़ी चलाना सीखा।"

Sambandh Bodhak Avyay Kise Kahate Hai


उपरोक्त लेख में हमने बात किया है की Sambandh Bodhak Avyay Kise Kahate Hai तो आशा करते है की आपको सम्बन्ध बोधक अव्यय के बारे में समझ में आ चूका होगा . अब आपको समुच्चय बोधक अव्यय की जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है .  विरोध-सूचक अव्यय जैसे "के विपरीत," "विरुद्ध," और "के खिलाफ" विरोधाभास को दर्शाते हैं, जैसे "चोरों के खिलाफ पुलिस अभियान चला रही है।" समता-सूचक अव्यय जैसे "जैसा," "समान," और "तुल्य" समानता को व्यक्त करते हैं, जैसे "कविता तो आशा भोसले के समान गाती है।" हेतु-वाचक अव्यय जैसे "के लिए," "अथवा," और "निमित्त" उद्देश्य और कारण को स्पष्ट करते हैं, जैसे "तुम मेहनत के कारण पास हुए हो।" सहचर-सूचक अव्यय जैसे "साथ," "समेत," और "संग" सहचरता को दर्शाते हैं, जैसे "सभी छात्रों समेत।" विषय-वाचक अव्यय जैसे "के बारे में," "पर," और "संबंधित" विषय की जानकारी प्रदान करते हैं। संग्र-वाचक अव्यय जैसे "सभी," "भर," और "तक" वस्तुओं या अवधारणाओं के समूह को दर्शाते हैं, जैसे "रात भर" पूरी रात की अवधि को दर्शाता है। कारण-वाचक अव्यय जैसे "के कारण," "वास्ते," और "बाबत" कारण और उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं, जैसे "सोहन किस हेतु यहां आया है।" अंततः, सीमा-वाचक अव्यय जैसे "तक," "पर्यन्त," और "मात्र" सीमा या अंत को दर्शाते हैं, जैसे "हम शाम तक काम करेंगे।" इन विभिन्न प्रकार के अव्ययों का उपयोग वाक्यों में सटीकता और अर्थपूर्णता जोड़ने के लिए किया जाता है, जिससे भाषा का संप्रेषण अधिक प्रभावी और समझने में आसान होता है।

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